भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरा क्रिकेट टेस्ट मैच शनिवार से यहां शुरू हो रहा है. यहां की विकेट काफी तेज मानी जाती है और उसमें उछाल भी है लेकिन भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को इसकी कोई फिक्र नहीं है.
धोनी ने मैच के पहले कहा कि वह गाबा में भारत की हार के रिकॉर्ड से फिक्रमंद नहीं हैं. उन्हें लगता है कि भारतीय टीम इस तेज विकेट पर बढ़िया प्रदर्शन करेगी. उन्होंने कहा कि इस जीवंत विकेट से उन्हें कोई डर नहीं है. धोनी अब अपनी चोट से उबर चुके हैं और बुधवार को टीम का नेतृत्व करने को तैयार हैं.
ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया हमेशा मजबूत रही है. यहां की विकेट तेज है और उसमें उछाल भी है जिससे बाहर से आई टीमों को परेशानी होती है. और भारत के मामले में यह बहुत ज्यादा है. इसका ही परिणाम है कि आज तक खेले गए पांच मैचों में भारत कभी नहीं जीता.
धोनी ने कहा कि अगर आप आंकड़ों की बात करते हैं तो यह सही है. लेकिन भारत ने तेज विकेटों पर कई मैच जीते हैं चाहे वह जोहानंसबर्ग हो या डरबन या फिर पर्थ. धोनी ने खुद भी कभी ब्रिसबेन में नहीं खेला है. उन्होंने कहा कि मेरे नौजवान खिलाड़ियों के लिए यह नई चुनौती है और वे यहां काफी कुछ सीखेंगे. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मेरे खिलाड़ी समय के साथ खड़े होंगे और अच्छा प्रदर्शन करेंगे. गाबा में ऑस्ट्रेलिया आखिरी बार 1988 में हारा है जब विव रिचर्ड्स की टीम ने उन्हें नौ विकेटों से मात दी थी.
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ आखिरी बार गाबा में मैच 2003 में खेला था जब सौरभ गांगुली ने यहां शतक जड़ा था और वह मैच ड्रॉ हो गया था. उस मैच में भारत ने पहली पारी में बढ़त भी ली थी. धोनी ने कहा कि मैं अमूमन ऐसी विकेटें पसंद करता हूं जिनमें थोड़ा हरापन हो. इससे प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाफ हमारे गेंदबाज ज्यादा प्रभावी हो जाते हैं और बल्लेबाजों को वैसी विकटों पर रन बनाने में दिक्कत होती है.
धोनी ने यह भी कहा कि ऐसी विकेटों पर हमने बढ़िया प्रदर्शन किया है जो तेज गेंदबाजों के माकूल होती हैं. इससे प्रतिद्वंद्वी टीम के बल्लेबाजों को आउट करना आसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि हम पिछले कुछ सीरीज में टेस्ट मैच की परिस्थितियों को भुना नहीं पाए और नहीं जीत पाए. वे ऐसे मैच थे जो भारत जीत सकता था.
0 comments:
Post a Comment